प्रशांत किशोर ने दिखाया बाघ का करेजा, कोर्ट के सामने कह दी ऐसी बात
जज साहिबा को भी आ गया गुस्सा, बोले जेल भेजना है भेज दो नहीं मानूंगा बात 5 घंटे तक गाड़ी में इधर उधर घुमाती रही पुलिस, बंद कमरे में मारपीट का आरोप इधर अमित शाह पहुंचे पटना, उधर आधी रात हो गई प्रशांत किशोर की गिरफ्तार
पटना डीएम से टकराना पड़ा मंहगा, नीतीश कुमार के खिलाफ आवाज उठाना पड़ा महंगा
20 लाख किराए वाले वैनिटी वैन की सच्चाई भी पुलिस को पता चल गई !
आधी रात एक दो नहीं कुल 43 लोगों को, जिसमें कुछ छात्र भी शामिल थे गिरफ्तार कर लिया गया. आधी रात और उसके बाद क्या क्या हुआ जरा देख लीजिए
BPSC की 70वीं पीटी परीक्षा रद्द करने की मांग को लेकर पटना के गांधी मैदान में प्रशांत किशोर आमरण अनशन पर बैठे थे
आज उनके अनशन का पांचवा दिन था, लेकिन सुबह से पहले पुलिस उठा ले गई
गांधी मैदान से उठाकर प्रशांत किशोर को किसी अज्ञात जगह पर पुलिस ले गई
खबर है कि बंद कमरे में भी प्रशांत किशोर की खबर ली गई है
हिरासत में लिए जाने के कुछ ही देर के बाद उन्हें मेडिकल के लिए पटना एम्स में लाया गया
मेडिकल चेकअप के बाद उनकी कोर्ट में पेशी की गई
पुलिस प्रशांत किशोर को लेकर AIIMS पहुंची तो पीके के समर्थकों ने भारी बवाल किया। पीके के समर्थक और बीपीएससी अभ्यर्थी एंबुलेंस के आगे लेट गए। जिसके बाद पुलिस ने सभी को हटाने की कोशिश की। समर्थक और अभ्यर्थी पीके को लेकर जाने से पुलिस को रोक रहे थे.
पुलिस ने करीब 50 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज किया और दूसरी तरफ पटना के गांधी मैदान के चारों तरफ के गेट बंद कर दिए गए. प्रशांत किशोर देश में कोई छोटी मोटी हस्ती नहीं हैं. प्रशांत किशोर का जन्म एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था उनके पिता श्रीकांत पांडे एक चिकित्सक और माता सुशीला पांडे एक हाउसवाइफ थीं
जिसे कुछ साल पहले तक राजनीति का चाणक्य कहा जाने लगा था, उसकी ऐसी हालत हो जाएगी किसी ने सोचा भी नहीं था. प्रशांत किशोर की इस हालत को देखकर एक लाइन याद आ गया. ये रातनीति एक सर्कस है. यहां बडे को भी, छोटे को भी, ऊंचे को भी, नीचे को भी. ऊपर से नीचे और नीचे से ऊपर आना जाना पड़ता है. तरह तरह नाच के दिखाना यहां पड़ाता है. रोना और कभी कभी गाना यहां पड़ता है.
प्रशांत किशोर पर ये लाइनें इस सिर्फ फिट बैठती हैं क्योंकि वो भी केजरीवाल की तरह जो कहते हैं उसे डेफिनेटली नहीं करते. जैसे उन्होंने कुछ साल पहले कहा था राजनीति में नहीं आएंगे लेकिन पिछले साल पार्टी भी बनाई, यात्रा पर भी निकले और उपचुनाव भी लड़े. और अपने डेब्यू फाइट में ही करीब 5-6 फीसदी वोट लेकर भी लेकर आए.
यहां दो तीन बातें साफ तौर पर समझिए. बिहार में बीपीएससी के छात्रों का आदंलन शुरू हुआ नॉर्मलाइजेशन हटाने की मांग को लेकर, लेकिन बीपीएससी ने उसी वक्त ये क्लीयर कर दिया कि वो परीक्षा में नॉर्मलाइजेशन लागू करने नहीं जा रहा. बीपीएससी की पीटी परीक्षा भी हुई. उसके बाद भी ये आंदोलन चलता रहा. देखते ही देखते इस आंदोलन में सियासी दलों की एंट्री होते चली गई. तेजस्वी यादव आए, फिर पप्पू यादव आए और अब प्रशांत किशोर आमरण अनशन पर बैठ गए. करीब एक हफ्ते पहले बीपीएससी के छात्रों पर लाठीचार्ज हुआ जिसमें कहा गया कि छात्रों को प्रशांत किशोर ने भड़काया जिसकी वजह से छात्रों को कंट्रोल करने के लिए पुलिस को लाठी चार्ज करना पड़ा. इसके बाद छात्रों ने प्रशांत किशोर को अपने प्रदजर्सन से भगा दिया लिहाजा बादज में उनकी सिंपैथी लेने के लिए प्रशांत किशोर ने भी छात्रों के साथ दरना देने का फैसला किया और देखते ही देखते ये धरना आमरण अननशन में बदल गया.
खैर जिस गांधी मैदान ने जेपी के आंदोलन ने देश की सत्ता हिला दी, उसी गांधी मैदान में जब आप सो रहे थे, तो आधी रात लाठी चली. नेता थे प्रशांत किशोर. जनसुराज के संस्थापक. और बीपीएससी छात्रों के साथ मिलकर वो धरना दे रहे थे. धरना देने के पीछे की सबसे बड़ी
प्रशांत किशोर को हल्के में लेने वाले उनके करियर को अच्छी तरह से नहीं जानते है. प्रशांत किशोर कभी नरेन्द्र मोदी के बहुत खास रह चुके हैं. गुजरात से लेकर दिल्ली तक नरेन्द्र मोदी को सत्ता के शिखर तक पहुंचाने में छोटा मोटा योगदान प्रशांत किशोर का भी आप कह सकते हैं. हमें पता है कि इस बात पर कई लोगों को हंसी आएगी. लेकिन बात सोलह आने सच है.
भारत में चुनावी रणनीतिकार के तौर पर करियर की शुरुआत करने से पहले प्रशांत किशोर UN यानि संयुक्त राष्ट्र के पब्लिक हेल्थ अभियान जुड़े थे, 34 साल की उम्र में अफ्रीका से संयुक्त राष्ट्र की नौकरी छोड़ कर साल 2011 में गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की टीम में शामिल हुए 2012 के विधानसभा चुनाव में मोदी की पॉलिटिकल ब्रांडिंग का काम शुरू किया 2014 के लोकसभा चुनावों में बीजेपी के अभियान को मोदी लहर में तब्दील करने में अहम भूमिका निभाई
प्रशांत किशोर मोदी की टीम में शामिल हुए इसके पीछे भी दिलचस्प किस्सा है. प्रशांत किशोर ने बताया कि जब वह यूएन में नौकरी कर रहे थे, उस दौरान उन्होंने कुपोषण पर एक पेपर लिखा था, जिसके बाद उन्हें गुजरात के मुख्यमंत्री कार्यालय से फोन आ गया.
प्रशांत किशोर जब जिनेवा शिफ्ट हो रहे थे तो वहां पर कुपोषण पर एक पेपर लिखा था. इसमें गुजरात की शिकायत की थी. हालांकि मोदी का नाम लिए बगैर प्रशांत किशोर ने इसमें गुजरात के बारे में बहुत कुछ लिखा था. लेकिन मोदी का कोई विरोध नहीं किया था. इस आर्टिकल में प्रशांत किशोर ने देश के अमीर राज्यों में फैलते कुपोषण के बारे में लिखा था. उसमें चार राज्यों की तुलना की गई थी- हरियाणा, गुजरात, महाराष्ट्र और कर्नाटक. गुजरात सबसे अंत में था इन सब चार राज्यों की तुलना में. इस पेपर को लिखने के बाद गुजरात के मुख्यमंत्री कार्यालय से उन्हें फोन आ गया. उस वक्त नरेन्द्र मोदी गुजरात के सीएम हुआ करते थे. और उस दौरान नरेंद्र मोदी फौरन प्रशांत किशोर को अपने साथ काम करने ऑफर दे दिया.
दरअसल तत्कालीन गुजरात की मोदी सरकार स्टेट से कुपोषण खत्म करने के लिए काम तो कर रही थी, लेकिन सरकार का ध्यान उस तरफ नहीं गया था कि जिसकी तरफ प्रशांत किशोर ने इशारा किया था. खैर मोदी के ऑफर पर प्रशांत किशोर ने सोचने का वक्त मांगा. और करीब एक साल बाद उनकी फिर से मोदी से मुलाकात हुई जिसमें प्रशांत किशोर ने उनके साथ काम करने की हामी भर दी. लेकिन नरेन्द्र मोदी के सामने प्रशांत किशोर ने एक शर्त रख दी थी कि हमारे आपके बीच में कोई नहीं होगा. मतलब वो सीधे मोदी को रिपोर्ट करेंगे किसी और को नहीं. मोदी से ग्रीन सिग्नल मिलने के बाद उनकी स्पीच लिखने का काम प्रशांत किशोर को मिल गया. उस वक्त मीडिया मोदी को ज्यादा कवरेज नहीं देता था. ऐसे में प्रशांत किशोर ने मोदी को फेसबुक चलाने की सलाह दी. इससे मोदी की लोकप्रियता दिन दोगुनी रात चौगुनी बढ़ने लगी.
लोकसभा चुनावों के बाद बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह से प्रशांत किशोर की मतभेद की खबरों के बीच उन्होंने जेडीयू का दामन थामा और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के घर पर रहते हुए 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में जेडीयू आरजेडी गठबंघन को जीत दिलाने में बहुत बड़ी भूमिका निभाई.
प्रशांत किशोर ने नारा दिया बिहार में बहार है, नीतीशे कुमार हैं जो काफी पॉपुलर हुआ
उन्होंने जेडीयू के लिए जनसंपर्क अभियान ‘घर-घर दस्तक’ की शुरुआत की ऐसा माना जाता है कि एक दूसरे के धुर विरोधी जेडीयू-आरजेडी-कांग्रेस का महागठबंधन बनवाने में उनकी अहम भूमिका रही
चुनाव के नतीजे आए तो बीजेपी को तगड़ी हार का सामना करना पड़ा. बिहार में सरकार बनी तो नीतीश कुमार ने उन्हें सरकार के परामर्शी और बिहार विकास मिशन के शासी निकाय के सदस्य के तौर मंत्री का दिलवाया.
बाद में वो जेडीयू की टिकट पर राज्यसभा भी गए. लेकिन कुछ ही दिनों में जब प्रशांत किशोर और नीतीश कुमार के बीच आरसीपी सिंह और ललन सिंह आने लगे तो प्रशांत किशोर की नीतीश कुमार से खटपट होने लगी. फिर प्रशांत किशोर ने इस्तीफा दिया और आंध्र प्रदेश में जगन मोहन रेड्डी के प्रचार अभियान के काम में जुट गए. जिसकी बदौलत उन्होंने एंटी एनकंबेंसी के बावजूद जगनमोहन रेड्डी की आंध्र प्रदेश की सत्ता में वापसी करवा दी. वहां से निकले तो टीएमसी के पास पहुंचे.
2021 में पश्चिम बंगाल के चुनावों में टीएमसी की जीत के सूत्रधार भी प्रशांत किशोर रहे
बीजेपी ने उस साल पश्चिम बंगाल की सत्ताधारी पार्टी टीएमसी में जबरदस्त तोड़फोड़ मचाई थी
ममता बनर्जी के खिलाफ और बीजेपी के पक्ष में लागातार मौहाल बन रहा था
लेकिन प्रशांत किशोर ने दावे के साथ तब कह दिया था कि बीजेपी डबल डीजीट क्रॉस नहीं कर पाएगी और ऐसा ही हुआ
उस वक्त उनकी काबिलियत पर शक करने वालों को ये पता चल गया था कि प्रशांत किशोर ने कोई कच्ची गोटियां नहीं खेली. हालांकि ममता बनर्जी की जीत के बाद प्रशांत किशोर की उनके भतीजे अभिषेक बनर्जी से नहीं बनी और बंगाल छोड़ना पड़ा. फिर तो प्रशांत किशोर ने राजनीति के चाणक्य की भूमिका निभानी ही छोड़ दी और खुद की पार्टी जन सुराज बना ली.
इधर प्रशांत किशोर की 20 लाख किराए वाले वैनिटी वैन की सच्चाई भी पता चल गई है. पता चला है कि ये वैनिटी वैन पूर्णिया के पूर्व सांसद पप्पू सिंह का है. जिन्होंने प्रशांत किशोर को किराए पर दे रखा है. फिलहाल इस वैनिटी वैन को पुलिस ने डीटीओ ऑफिस में खड़ा कर दिया है. लेकिन प्रशांत किशोर के साथ जो हुआ, उसपर आप क्या सोचते हैं. क्या उनके साथ सही हुआ या जानबूझकर सरकार उन्हें परेशान कर रही है और बीपीएससी अभ्य्थियों की मांग को नहीं सुनना चाहती. हमें कॉमेंट में जरूर बताएं