जम्मू कश्मीर में बनेगी बीजेपी सरकार, अब्दुल्ला और मोदी ने मिलकर लगा दी मुहर
बीजेपी और उमर अब्दुल्ला आ गए साथ, पाकिस्तान के अरमानों को पहुंचा आघात,
उमर अब्दुल्ला ने जी भरकर की मोदी की तारीफ, भाजपाईयों को अपनी कानों पर यकीन नहीं हो रहा, कांग्रेसी तो एकदम से सदमें में चले गए मोदी की तारीफ के पीछे है बड़ा खेल, अब्दुल्ला जो चाह रहे शाह वो समझ गए, महीने भर के भीतर जम्मू-कश्मीर में होगा भयंकर खेल मोदी के मुरीद बनने के बाद अब्दुल्ला उठाने जा रहे बड़ा कदम, कांग्रेस के लिए बजा दी खतरे की घंटी, अगले कुछ दिनों में होगा बड़ा ऐलान
तो क्या जम्मू कश्मीर की धरती से एक नए गठबंधन का ऐलान हो चुका है. देश के 99 प्रतिशत लोगों को आज न तो आंखों देखी पर यकीन हुआ और न कानो से जो सुने उसपर. जम्मू कश्मीर में बीजेपी की सरकार आ गई, नहीं नहीं दो हफ्तों में आ जाएगी. आज उमर अब्दुल्ला ने मोदी की तारीफ की और मोदी ने अब्दुल्ला की. ही। इस तारीफ को डिकोड करेंगे लेकिन उससे पहले जम्मू कश्मीर की हालत देख लीजिए बीजेपी के लिए उमर अब्दुल्ला ने कितनी वेकेंसी रखी है
जम्मू कश्मीर में कुल 10 मंत्रियों की जगह है लेकिन उमर अब्दुल्ला ने जब शपथ ली तो उनके साथ 5 मंत्रियों ने शपथ ली मतलब अभी भी जम्मू कश्मीर में 4 मंत्रियों की जगह खाली है जम्मू कश्मीर की विधान सभा में बीजेपी की 28 सीटें हैं…
अब इसके आगे आगे खेल समझते जाएगा. बीजेपी सरकार में कैसे आएगी. उमर अब्दुल्ला ने आज मोदी की जी भरकर तारीफ की है, अब फिर से सुनिए, जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने मोदी की जी भरकर तारीफ की है…. कुछ समझे, नहीं समझे तो आपको 7 साल पुराना वाकया याद दिलाता हूं जब बीजेपी और पीडीपी की सरकार बनी थी तब भी लोगों को भरोसा नहीं हुआ था… लेकिन तमाम तरह की आलोचनाओं के बाद भी मोदी और शाह शांत रहे और अंदर ही अंदर आगे की प्लानिंग करते रहे और जब शाह ने सदन में धारा 370 को खत्म करने का ऐलान किया तो समझ में आया कि आखिर अपने से बिल्कुल विपरीत विचारधारा वाले पार्टी के साथ बीजेपी ने सरकार क्यों बनाई…
अब आज के घटनाक्रम पर आते है, मौका था सोनमर्ग में एक टनल के उद्घघाटन का जिसके मुख्य अतिथि थे पीएम मोदी… टनल के उद्घघाटन के बाद जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री ने लोगों को संबोधित करते हुए पीएम की तारीफ में जमकर कसीदे पढ़े… पीएम मोदी की तरफ देखते हुए उमर अबदुल्ला ने कहा कि आप दिल की दूरी और दिल्ली की दूरी को खत्म करने पर काम कर रहे हैं… और ये सच में आपके काम से साबित होता है… उस दौरान आपने जम्मू-कश्मीर के लोगों से कहा था कि बहुत जल्द चुनाव होंगे और लोगों को अपने वोट के जरिये अपनी सरकार चुनने का मौका मिलेगा… आपने अपनी बात रखी और चार महीने के अंदर चुनाव हुए… नई सरकार चुनी गई और उसी का नतीजा है कि मुख्यमंत्री के रूप में मैं यहां आपसे बात कर रहा हूं.
लेकिन मोदी की तारीफ करने के तुरंत बाद ही उमर अब्दुल्ला ने अपने मूल मुद्दे पर आते हैं और कहते हैं प्रधानमंत्री जी, आपने जम्मू-कश्मीर के लिए राज्य का दर्जा बहाल करने का भी वादा किया था… लोग मुझसे इस बारे में पूछते रहते हैं… और मैं उनको याद दिलाता रहता हूं… प्रधानमंत्री मोदी ने चुनाव कराने का अपना वादा पूरा किया… मुझे विश्वास है कि जल्द ही ये वादा भी पूरा होगा… और जम्मू-कश्मीर एक बार फिर इस मुल्क का एक रियासत होगा.
आपको बता दें कि उमर अब्दुल्ला ने जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने से पहले केंद्र सरकार के साथ संबंधों को लेकर जो संकेत दे रहे थे, अब उससे भी चार कदम आगे नजर आ रहे हैं. दरअसल शुरू से ही उमर अब्दुल्ला ये समझाने की कोशिश कर रहे थे कि वो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, जम्मू-कश्मीर के उप राज्यपाल मनोज सिन्हा और भारतीय जनता पार्टी से आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल की तरह टकराने नहीं जा रहे हैं. अरविंद केजरीवाल भी जब पहली बार मुख्यमंत्री बने थे तो उनके मन में भी एक काम दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाना भी था, लेकिन जाने कब वो गुमनामी के अंधेरे में छूट गया.
सोनमर्ग टनल के उद्घाटन के मौके पर जिस तरह से उमर अब्दुल्ला ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ की है, बगैर किसी गड़बड़ी के विधानसभा चनाव कराने का क्रेडिट दिया है, और सूबे में अमन, तरक्की और टूरिज्म को लेकर जिस लहजे में प्रधानमंत्री मोदी को श्रेय दे रहे हैं, वैसी तारीफ तो किसी कश्मीरी नेता के मुंह से पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के लिए भी नहीं सुनने को मिली है.
जम्मू-कश्मीर में जब लीक से अलग हटकर पीडीपी और बीजेपी की गठबंधन सरकार बनी थी, करीब करीब हर मौके पर पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की बात की याद जरूर दिलाई जा रही थी. जो बात गठबंधन के पहले मुख्यमंत्री बने मुफ्ती मोहम्मद सईद कह रहे थे, ठीक वही बात बाद के दिनों मे सूबे की मुख्यमंत्री बनीं महबूबा मुफ्ती के मुंह से भी सुनने को जरूर मिलता रहा.
असल में अटल बिहारी वाजपेयी ने ‘कश्मीरियत, जम्हूरियत और इंसानियत’ का नारा दिया था, जो लंबे अर्से तक वहां के लोगों की जबान पर चढ़ा हुआ था. 2019 में जम्मू-कश्मीर से धारा 370 खत्म किये जाने से पहले तक ये बात बार बार दोहराई जाती थी.
अब जिस तरह से उमर अब्दुल्ला जम्मू-कश्मीर में शांतिपूर्वक और निष्पक्ष चुनाव कराये जाने की बात कह रहे हैं, और उसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को श्रेय दे रहे हैं, वो जम्मू-कश्मीर की जमीन से नये राजनीतिक समीकरणों की तरफ इशारा कर रहा है. सोनमर्ग टनल के उद्घाटन के मौके पर उमर अब्दुल्ला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पिछले दौरों का जिक्र करते हुए उनकी तीन बातें याद दिलाते हैं, और बताते हैं कि अब एक ही काम बचा है – जम्मू-कश्मीर को लोगों को पूर्ण राज्य का दर्जा वापस दिलाना.
अब ये देखना दिलचस्प होगा कि उमर अब्दुल्ला पीएम मोदी से जम्मू-कश्मीर को पुर्ण राज्य का दर्जा दिला पाने में कामयाब हो पाते हैं या फिर पिछली बार की गठबंधन सरकार की तरह ही शाह के दिमाग में ऐसा कुछ चल रहा है जिसकी भनक किसी को नही है और समय आने पर वो देश के सामने लेकर आएंगे…