बांग्लादेश के अंतरिम सरकार ने लिया ऐसा फ़ैसला, भारत की बढ़ी चिंता

 अंसारुल्लाह बांग्ला टीम (ABT) के प्रमुख जासिमुद्दीम रेहमानी की हुई रिहाई, इस्लामिक पार्टी जमात इस्लामी से हटा बैन 


Narendra Modi & Sheikh Hasina

बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख़ हसीना के देश छोड़ने के बाद अब वहां की अंतरिम सरकार ने शेख़ हसीना द्वारा लिए गए फ़ैसलों में बदलाव करने शुरू कर दिए है। बांग्ला की अंतरिम सरकार ने एक तरफ अंसारुल्लाह बांग्ला टीम (ABT) के प्रमुख जासिमुद्दीम रेहमानी को रिहा कर दिया है है। तो वही दूसरी तरफ़ बंग्लादेश की सबसे बड़ी इस्लामिक पार्टी जमात इस्लामी से भी बैन हटा दिया। इन दोनों पर ही भारत के ख़िलाफ़ आतंकी गतविधियों को अंजाम देने के आरोप है। जासिमुद्दीम रेहमानी की रिहाई होने के बाद अब भारत सहित कई देश अन्य देशों की चिंता बढ़ा दी है क्योंकि जासिमुद्दीम रेहमानी अपने संगठन अंसारुल्लाह बांग्ला टीम (ABT) और अलक़ायदा के साथ मिलकर दुनिया भर में स्लीपर सेल तैयार करता है और आतंकी गतविधियों को अंजाम देता है। उनकी गिरफ्तार से अब कई देशों को आतंकवाद का ख़तरा और भी ज़्यादा सताने लगा है। जासिमुद्दीम रेहमानी की रिहाई के अब आशंका जताई जा रही है की वो कई बड़ी गतिविधियों के अंजाम दे सकता है और इसके कई बड़े प्रभाव देखने को मिल सकते है। जिसमें सबसे पहले नंबर पर सुरक्षा की स्थिति है।  रेहमानी की रिहाई से बांग्लादेश, भारत अन्य देश की सुरक्षा स्थिति पर काफी प्रभाव पड़ सकता है। उसकी रिहाई से कट्टरपंथी तत्वों को संजीवनी मिल सकती है, जिससे सुरक्षा चुनौतियां उत्पन्न हो सकती हैं। हालांकि बंगला सरकार ने जासिमुद्दीम रेहमानी की रिहाई के वक़्त सुरक्षा उपायों को सुनिश्चित करने का दावा किया है। इसके अलावा रेहमानी अपनी रिहाई के बाद से बांग्लादेश की अंतर्राष्ट्रीय छवि को  भी प्रभावित कर सकता है। रेहमानी की रिहाई से बांग्लादेश के नागरिक इसे सकारात्मक सुधार के रूप में देख रहे हैं, हालाँकि कई लोगों में रेहमानी का डर भी देखने को मिल रहा है। रेहमानी की इस रिहाई से बांग्लादेश की राजनीति में नई गतिशीलता उत्पन्न हो सकती है। यह सरकार और विपक्ष के बीच नई चर्चाओं और समीक्षाओं को जन्म दे सकता है। जासिमुद्दीम रेहमानी को साल 2015 में धार्मिक कट्टरपंथ को बढ़ावा देने और आतंकवादी गतिविधियों को समर्थन देने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।  


 जासिमुद्दीम रेहमानी की रिहाई के पीछे ये हो सकती है बड़ी वजह


अंतर्राष्ट्रीय दबाव: जासिमुद्दीम रेहमानी की गिरफ्तारी के बाद, कई अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों और देशों ने बांग्लादेश पर दबाव डाला था कि वह लोकतांत्रिक मानकों और मानवाधिकारों का सम्मान करे। इस दबाव के चलते सरकार ने उनकी रिहाई का निर्णय लिया हो सकता है।


सामाजिक और राजनीतिक समीकरण: बांग्लादेश की राजनीति में विभिन्न दलों और समूहों के बीच मतभेद हैं। रेहमानी की रिहाई ने सरकार को एक अवसर प्रदान किया है कि वह एक विवादित मुद्दे को सुलझा सके और राजनीतिक माहौल को शांतिपूर्ण बनाए रखे।


सुधारात्मक कदम: सरकार ने यह निर्णय लिया हो सकता है कि सुधारात्मक कदम उठाकर वह देश की सुरक्षा स्थिति और सामाजिक शांति को बहाल करे। यह एक संकेत हो सकता है कि बांग्लादेश सरकार सामाजिक और राजनीतिक मामलों में संवेदनशीलता दिखा रही है।



रेहमानी की रिहाई से देखने को मिल सकते है ये बड़ असर 



जासिमुद्दीम रेहमानी की रिहाई के बड़े प्रभाव देखने को मिल सकते हैं, जो बांग्लादेश के विभिन्न पहलुओं को प्रभावित कर सकते हैं


सुरक्षा स्थिति: रेहमानी की रिहाई से बांग्लादेश की सुरक्षा स्थिति पर प्रभाव पड़ सकता है। कुछ विश्लेषकों का मानना है कि उनकी रिहाई से कट्टरपंथी तत्वों को संजीवनी मिल सकती है, जिससे सुरक्षा चुनौतियां उत्पन्न हो सकती हैं। हालांकि, सरकार ने सुरक्षा उपायों को सुनिश्चित करने का दावा किया है।


अंतर्राष्ट्रीय छवि: रेहमानी की रिहाई से बांग्लादेश की अंतर्राष्ट्रीय छवि को प्रभावित किया जा सकता है। यह दर्शाता है कि सरकार अंतरराष्ट्रीय दबाव को स्वीकार करने के लिए तैयार है और मानवाधिकार के मुद्दों पर संवेदनशील है। यह बांग्लादेश की अंतरराष्ट्रीय संबंधों को बेहतर बनाने का एक अवसर हो सकता है।


सामाजिक प्रतिक्रिया: रेहमानी की रिहाई से बांग्लादेश के नागरिक समाज और धार्मिक समूहों में विभिन्न प्रतिक्रियाएं हो सकती हैं। कुछ लोग इसे सकारात्मक सुधार के रूप में देख सकते हैं, जबकि अन्य इसे सुरक्षा स्थिति में संभावित गिरावट के रूप में देख सकते हैं। 


राजनीतिक प्रभाव:  इस रिहाई से बांग्लादेश की राजनीति में नई गतिशीलता उत्पन्न हो सकती है। यह सरकार और विपक्ष के बीच नई चर्चाओं और समीक्षाओं को जन्म दे सकता है, और इसके परिणामस्वरूप राजनीतिक परिदृश्य में बदलाव सकता है।


प्रेस और मानवाधिकार: रेहमानी की रिहाई बांग्लादेश में प्रेस और मानवाधिकार के मुद्दों पर भी ध्यान केंद्रीत करती है। इसके ये भी संकेत हो सकते है कि  सरकार मानवाधिकार की चिंताओं को सुन रही है और सुधारात्मक कदम उठा रही है।


अंसारुल्लाह बांग्ला टीम (ABT) के प्रमुख जासिमुद्दीन रहमानी की रिहाई भारत के लिए बड़ा खतरा साबित हो सकती है। जासिमुद्दीन रहमानी पर भारत और बांग्लादेश दोनों देशों में आतंकवादी गतिविधियों में शामिल होने का आरोप है। यह संगठन भारत के खिलाफ कई बड़ी आतंकी गतविधियों को अंजाम दे सकता है। हालाँकि रेहमानी की रिहाई के बाद भारत सरकार और सुरक्षा एजेंसियां उसके संगठन सदस्यों पर नजर रख रही हैं और उनकी गतिविधियों को नियंत्रित करने के लिए आवश्यक कदम उठा रही हैं।

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